नात शरीफ़ हिन्दी में लिखा हुआ |

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सहारा चाहिये सरकार ज़िन्दगी के लिए || हिंदी में


सहारा चाहिये सरकार ज़िन्दगी के लिए

तड़प रहा हूँ मदीने की हाज़री के लिए

हुज़ूर ऐसा कोई इंतिज़ाम हो जाये

सलाम के लिए हाज़िर ग़ुलाम हो जाये 


नसीब वालों में मेरा भी नाम हो जाये 

जो ज़िन्दगी की मदीने में शाम हो जाये

में शाद शाद मरूंगा गर दम-ऐ-आखिर

ज़ुबान पे जारी मुहम्मद सल्ला लहू ‘अलैहि व सल्लम का नाम हो जाये

सहारा चाहिये सरकार ज़िन्दगी के लिए

तड़प रहा हूँ मदीने की हाज़री के लिए


वह बज़्म-ऐ-ख़ास जो दरबार-ऐ-आम हो जाये

उम्मीद है कह हमारा सलाम हो जाये 

इधर भी इक निगाह-ऐ-लुत्फ़-ऐ-आम हो जाये

के आशिक़ों में हमारा भी नाम हो जाये.


तेरे ग़ुलाम की शौकत जो देख ले मेहमूद

अभी अयाज़ की सूरत ग़ुलाम हो जाये

मै क़ायल आप के रौज़े का हूँ वह क़ायल तुर

कलीम से न किसी दिन कलाम हो जाये


मदीने जाओं फिर आऊं दोबारा फिर जाओं

तमाम उमर इसी में तमाम हो जाये

बुलाओ जल्द मदीने में है अमीर को खौफ

कहीं न उमर दो रोज़ा तमाम हो जाये


तुम्हारी नात पढ़ों में सुनूँ लिखूं हर दम

ये ज़िन्दगी मेरी यूँही तमाम हो जाये

मेरी नमाज़-ऐ-जनाज़ह की यूँ इबादत हो

के दो जहाँ के आक़ा इमाम हो जाये


सहारा चाहिये सरकार ज़िन्दगी के लिए

तड़प रहा हूँ मदीने की हाज़री के लिए

पिया राजा ओ जिया ने पिया जो मुर्शिद ने

अता मुझे भी शाह ऐसा जाम हो जाये


सहारा चाहिये सरकार ज़िन्दगी के लिए

तड़प रहा हूँ मदीने की हाज़री के लिए

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