जिसकी दरबार-ऐ-मुहम्मद में रसाई होगी,
उसकी किस्मत पे फ़िदा सारी खुदाई होगी.
साँस लेता हु तो आती है महक तैबा की,
ये हवा कुच-ऐ -सरकार से आयी होगी.
चाँद कदमो पे गिरा उनका इशारा जो हुआ,
वो भी क्या वक़्त था जब ऊँगली उठायी होगी.
जिसकी दरबार-ऐ-मुहम्मद में रसाई होगी,
उसकी किस्मत पे फ़िदा सारी खुदाई होगी.
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