नात शरीफ़ हिन्दी में लिखा हुआ |

नातों का गुलदस्ता - यह ब्लॉग विशेष रूप से नात शरीफ पढ़ने के शौकीन के लिए बनाया गया है|

वज़ू के मसाईल || हिंदी में


मसला : - जुमा , ईद , बक़र ईद , अ़रफ़ा के दिन और एहराम बांधते वक्त ग़ुस्ल कर लेना सुन्नत है ( आलमगीरी जि .1 . 15 )


मसलाः - मैदाने अ़रफ़ात और मुज़दलफ़ा में ठहरने और हरमे कअ़बा और रौज़ए मुनव्वरा की हाजिरी , तवाफे कअबा , मिना में दाखिल होने , जमरों को कंकरियां मारने के लिए ग़ुस्ल कर लेना मुस्तहब है इसी तरह शबे क़द्र , शबे बराअत , अरफ़ा की रात में , मुर्दा नहलाने के बाद , जुनून और गशी से होश में आने के बाद , नया कपड़ा पहनने के लिए , सफ़र से आने के बाद , इस्तिहाजा बन्द होने के बाद गुनाह से तौबा करने के लिए , नमाजे इस्तिस्का के लिए , ग्रहन के वक्त नमाज़ के लिए , ख़ौफ , तारीकी , आंधी के वक्त इन सब सूरतों में ग़ुस्ल कर लेना मुस्तहब है ( दुरै मुख्तार जि . 1 , 114 वगैरह


मसला : - जिस पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो उसको बगैर नहाये मस्जिद में जाना , तवाफ़ करना , क़ुरआन मजीद का छूना , क़ुरआन शरीफ पढ़ना , किसी आयत को लिखना हराम है और फ़िक़िह हदीस और दूसरी दीनी किताबों का छूना मकरूह है मगर आयत की जगहों पर इन किताबों में भी हाथ लगाना हराम है ( दुरै मुख्तार , रडुलमुहतार )


मसला : - दुरूद शरीफ़ और दुआ़ओं के पढ़ने में हरज नहीं मगर बेहतर यह है कि वुज़ू या कुल्ली करे ( बहारे शरीअत )  

 

मसला : - ग़ुस्ल ख़ाना के अन्दर अगरचे छत हो नंगे बदन नहाने में कोई हरज नहीं हां औरतों को बहुत ज्यादा इहतियात की जरूरत है मगर नंगे नहाये तो क़िबला की तरफ मुंह करे और अगर तहबन्द बांधे हुए हो तो नहाते वक्त क़िबला की तरफ मुंह करने में कोई हरज नहीं


मसलाः - औरतों को बैठ कर नहाना बेहतर है मर्द खड़े होकर नहाए या बैठ कर दोनों सूरतों में कुछ हरज नहीं


मसलाः - ग़ुस्ल के बाद फौरन कपड़े पहन ले देर तक नंगे बदन रहे


मसला : - जिस तरह मर्दों को मर्दों के सामने सत्र खोल कर नहाना हराम है उसी तरह औरतों को भी औरतों के सामने सत्र खोल कर नहाना जाइज नहीं क्योंकि दूसरों के सामने बिला जरूरत सत्र खोलना हराम है ( आम्मए कुतुबे फिकह


मसला : - जिस पर गुस्ल वाजिब है उसे चाहिए कि नहाने में देर करे बल्कि जल्द से जल्द गुस्ल करले क्योंकि हदीस शरीफ में है जिस घर में जुनुब यानी ऐसा आदमी हो जिस पर गुस्ल फर्ज है उस घर में रहमत के फरिश्ते नहीं आते और गुस्ल करने में इतनी देर कर चुका कि नमाज़ का वक्त गया तो अब फौरन नहाना फर्ज है अब देर करेगा तो गुनहगार होगा ( बहारे शरीअत जि . 2 . 42 )


मसलाः - जिस शख्स पर गुस्ल फर्ज है अगर वह खाना खाना चाहता है या औरत से जिमाअ करना चाहता है तो उसको चाहिए कि वुजू करले या कम से कम हाथ मुंह धो ले और कुल्ली करे और अगर वैसे ही खा पी लिया तो गुनाह नहीं मगर मकरूह है और मोहताजी लाता है और बे नहाये या बे वुजू किये जिमाअ कर लिया तो भी कुछ गुनाह नहीं मगर जिस शख्स को एहतेलाम हुआ हो उसको बे नहाये हुए औरत के पास नहीं जाना चाहिए ( बहारे शरीअत जि . 2 . 42 ) 

मसअला* - अगर पेशाब के साथ मनी के कुछ कतरात जाये तो गुस्ल फ़र्ज़ नहीं.

मसअला* - युंहि अगर बिला शहवत मनी के कुछ कतरे निकल आये तो वुज़ु टूट जायेगा मगर गुस्ल फ़र्ज़ नहीं.

मसअला* - अगर ख्वाब याद है मगर कपड़ों पर कुछ असरात मनी के मौजूद नहीं तो गुस्ल फ़र्ज़ नहीं.

मसअला* - और अगर कपड़ों पर मनी या मज़ी के निशान है और ख्वाब याद नहीं तो गुस्ल फ़र्ज़ है.

मसअला* - जिनपर गुस्ल फ़र्ज़ है उनको मस्जिद मे जाना,क़ुरान मजीद छूना,ज़बान से क़ुरान की आयत पढ़ना,किसी आयत का लिखना हराम है युंहि क़ुरान की नुक़ूश वाली अगूठी पहन्ना भी.

मसअला* - जिनपर गुस्ल फ़र्ज़ है अगर उन्होने हाथ धोने से पहले किसी बाल्टी या टब में हाथ डाल दिया बल्कि सिर्फ नाखून ही डुबो दिया तो सारा पानी मुशतमिल हो गया अब उससे गुस्ल या वुज़ू कुछ नहीं हो सकता,इस बात का खयाल रखें अगर कोई गुस्ल खाने मे बरहना होकर नहाता है और नहाने से पहले या बाद को कुल्ली करता और नाक में पानी चढ़ा लेता है,उसका गुस्ल हो गया और जिसने गुस्ल कर लिया उसका वुज़ू भी हो गया.
बहारे शरीयत,हिस्सा 2,सफ़ह 30----43

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