हाल-ऐ-दिल किस को सुनाएँ आप के होते हुए || नात शरीफ हिंदी में
हाल-ऐ-दिल किस को सुनाएँ आप के होते हुए |
हवाला नात ख्वान-: अल-हाज़ गुल तरफ़ साहिब
हाल-ऐ-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए ।
क्यों किसी के दर पे जाए, आप के होते हुए।।
मैं गदा-ऐ-मुस्तफा हूँ, ये मेरी पहचान है। (गदा-ऐ-मुस्तफा = मुस्तुफ़ा करीम का नौकर )
ग़म क्यों कर सताए, आप के होते हुए।।
शान-ऐ-महबूबी दिखाई जाएँगी महशर के दिन। (महशर के दिन = कयामत का दिन)
कौन देखेगा ख़ताये आप के होते हुए।
जुल्फ-ऐ- महबूबे खुदा लहरायेगी महशर के दिन।
खूब ये किसकी घटाए आप जे होते हुए।
मैं ये कैसे मान जाऊ शाम के बाजार में।
छीन ले कोई रीदाये, आप के होते हुए।
अपना जीना अपना मरना, अब इसी चोखट पे हैं ।
हम कहाँ सरकार जाएँ, आप के होते हुए।
कह रहा है आप का रब, अंता फ़ी हिम आपसे ।
मैं इन्हे दूँ क्यों सदाए, आप के होते हुए .
ये तो हो सकता ही नहीं है,
।। जब तक बिक़े न थे, कोई पूछता न था
आपने खरीद कर अनमोल कर दिया।।
ये तो हो सकता नहीं हैं, ये बात मुमकिन ही नहीं ।
मेरे घर ग़म आ जाए, आप के होते हुए।
कौन है अल्ताफ अपना, हाल-ऐ-दिल किससे कहें।
जख्म-ऐ-दिल किस को सुनाएँ आप के होते हुए.
सामना है ऐ अली के लाल उसवाह: आप का [ उसवाह: समान नाम, नमूना; प्रतिरूप ]
क्यों किसी का खौफ-ऐ-खाएं, आप के होते हुए।
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