नात शरीफ़ हिन्दी में लिखा हुआ |

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तरावीह की दुआ || हिंदी में ||


सुबहान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुब्हान ज़िल इज्ज़ति, वल अज्मति, वल हैबति, वल क़ुदरति, वल किबरियाइ, वल जबरूत

सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लज़ी, ला यनामु वला यमूतु, सुबबूहुन कुद्दूसून, रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह

अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार, या मुजीरू, या मुजीरू, या मुजीर


ये दुआ कब पढ़ें ?

हर चार रकात के बाद इस दुआ को पढना है, दो रकात पर नहीं

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